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पाली ग्रन्थ सौंदर्य बखानते,जो उसका दुर्भाग्य बना।
नियति का खेल ऐसा, लावारिश का इतिहास बना।
लिच्छवी गणराज्य वैशाली, आम्रवृक्ष के नीचे मिली।
नाम आम्रपाली, गणराज्य व्यवस्था की शिकार हुई।
राजा व्यापारी सब चाहते, जिससे नगर अशांत हुआ।
लोकतंत्र में एकता शांति के नाम नगरवधू बनाई गई।
गणराज्य के नाम कोठा मिला,जीवन मे अंधेरा हुआ।
जनपथ कल्याणी उपाधि, महल मिला, प्रतिष्ठा हुई।
बौद्धकालीन राजनृतकी को देख हर कोई मुग्ध होता।
मगध राजा बिंबिसार भी मिलने भेष बदलकर आता।
भिक्षा मांगते शिष्य को देख, आमृपाली प्रेम में पड़ी।
महल से आमंत्रण पा,बुद्धआज्ञा से भिक्षुक वहां रहा।
मोहपाश में नही बांध सकी, बुद्ध शरण में पहुंच गई।
धम्म के आगे नतमस्तक थी, संघ की उपासिका हुई।
तथागत का आतिथ्य कर, दान दे वह उपकृत हुई।
पाप के जीवन से मुख मोड़, वह संघ में प्रविष्ठ हुई।
#सुरेश_गुप्ता
स्वरचित
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