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बापू तूने क्यों छोड़ दिया बीच मंझधार
लोकतंत्र में खो रहे आज सपने हमार
बापू तेरे देश का क्या हो गया ये हाल
एक बार आजा बस बिना हील हवाल
पत्रकार जेल जाए कपड़े उतरते जाए
नंगेपन का ये खुला एहसास यहां हुआ
सत्ता का खुला नंगापन नजर आ रहा
बापू देख तेरे देश में कौन नंगा न हुआ
चीफ जस्टिस को कटघरे में खड़ा देखा
कोर्ट जज कहे लोकतंत्र का ह्रास हुआ
आरबीआई चीफ कार्यकाल छोड़ भागा
अर्धरात्रि सीबीआई चीफ बेदखल हुआ
खुले में अपराधी मरे जनता खुशी मनाए
कानून पे न करे भरोसा ऐसे शब्द चलाए
बुलडोजर चढेगा तोडेगा ठोकेगा गाढ़ देगा
बापू देख यह भाषा का कैसा पतन हुआ
विकास की गंगा उल्टी बहने लगी है अब
घर बैठे राशन आये क्यों वे काम पर जाए
उपक्रम देश के नवरत्न नुकसान में आए
एकएक कर बिके सारे कहां रोजगार पाए
महंगाई से टूटे बेरोजगारी सिर चढ़ नाचे
बोत्तल चंद रुपयों में लोकतंत्र बिक जाए
फिर भी तेरे देशवासी लोकतन्त्र में नाचे
नेता जीते मगर मंडी में नीलाम हो जाए
हर नेता खुशहाल है और जनता कंगाल
तरस रही जनता दाने दाने को मोहताज़
लोकतंत्र में नेता कहते बस एक ही बात
लोकतंत्र तुम्हारा है पांच वर्ष में एक
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