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बंद किताबे बतियाएं (विश्व पुस्तक दिवस)

suresh kumar guptasuresh kumar gupta April 24, 2023
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सखी यह हम किस युग मे है आए
लाइब्रेरी में बंद ये किताबे बतियाएं
करीने से सजे हुए बरसो से बैठे है
हम यहां किसलिए कैद हुए बैठे है

पहले चहल पहल रोज उत्सव थे
आज चाहनेवालो का इंतज़ार करे
वाचक रोज सवेरे मेजो पर सजते
हमे छांट अलमारी से मेज भर देते

सब अपने शौक प्यार से हमे लेते
लेते एक बाकी किताब बिखेर देते
सब बिखेर जाते शिकवे वर्कर के
हमे शिकायत रोज परेशान करते

जो नही बैठते इशू करा ले जाते
लौटाने में देरी वे पेनल्टी दे जाते
अच्छा था हम बाहर टहल आते
कहाँ खोए वह वाचक याद आते

कभी ज्ञान का भंडार हुआ करते
मित्र हुआ करते हम ज्ञान बढ़ाते
मार्गदर्शन में सहायक सिद्ध होते
विश्व पुस्तक दिवस में शान होते

मोबाइल की दुनिया से दूरी बढे
अब तो कोई चमत्कार हो जाए
खुद पढ़ते और दूसरों को पढ़ाएं
हमको फिर अपना साथी बनाए

#सुरेश_गुप्ता
स्वरचित

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