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बलिदान की घड़ी

suresh kumar guptasuresh kumar gupta April 11, 2023
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बात निकली है तो दूर तलक जाएगी
सम्भव नही हवाएं तूफान रोक पाएगी

दबाओगे महक को छुप नही पाएगी
मौन रहोगे तो खामोशी बोल जाएगी

आग छुपाने का दुःसाहस तो कर बैठे
वक्त गुजरा आग दावानल हो जाएगी

जिसकी ओट में आप छुपकर बैठे थे
वक्त के साथ दीवार धराशायी हो गयी

वक्त गुजर रहा वक्त है कर गुजरने का
स्वर्गद्वार खुला है शहीद कहे जाओगे
 
हृदय दुर्बलता त्याग बहादुरी से लडो
अक्षुण्ण कीर्ति को आज गले लगाओ

चुन लिया जब मार्ग ये महाप्रयाण का
जौहर के मुहाने से लौट नही पाओगे

जीवन का मोह छोड मौत गले लगाओ
बलिदान की घड़ी में अमर हो जाआगे

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