Share0 Bookmarks 30708 Reads0 Likes
सवाल सवाल ये सवालों का सिलसिला है
उत्तर ढंढते रहते बाबू उत्तर यहां नदारद है
घूमते जिन वादियो में बसंत की बहार थी
आहिस्ता ऋतू बदली पतझड़ की मार थी
सत्ता चारण रखती आज जनता चारण है
आज जो माहौल है जहां कसीदे जवाब है
ढूंढते सवालों को उनकी लंबी फेहरिस्त है
पुलवामा की दास्तान या देवेंद्र की चाल है
तेरह के घोटालों का सच उजागर न हुआ
स्विस बैंक का फंड सुरसा सा बढ़ता गया
एक मोड़ आया सफर में डगर बदल गयी
सब कसीदे पढते अब घोटाला कब हुआ
करते सवाल कहते सवालों पे मिट्टी डालो
इकॉनमी का सरगना देश से भ
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments