आरती की बारी तुम्हारी है's image
Poetry2 min read

आरती की बारी तुम्हारी है

suresh kumar guptasuresh kumar gupta April 10, 2023
Share0 Bookmarks 30708 Reads0 Likes

सवाल सवाल ये सवालों का सिलसिला है
उत्तर ढंढते रहते बाबू उत्तर यहां नदारद है
घूमते जिन वादियो में बसंत की बहार थी 
आहिस्ता ऋतू बदली पतझड़ की मार थी 

सत्ता चारण रखती आज जनता चारण है  
आज जो माहौल है जहां कसीदे जवाब है
ढूंढते सवालों को उनकी लंबी फेहरिस्त है
पुलवामा की दास्तान या देवेंद्र की चाल है 

तेरह के घोटालों का सच उजागर न हुआ
स्विस बैंक का फंड सुरसा सा बढ़ता गया
एक मोड़ आया सफर में डगर बदल गयी
सब कसीदे पढते अब घोटाला कब हुआ

करते सवाल कहते सवालों पे मिट्टी डालो
इकॉनमी का सरगना देश से भ

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts