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हमारे प्रोफेसर कहते हम समझदार हुए
हर परंपराओ को अंधविश्वास कहते हुए
मगर न देव देवी भूलते नही शास्त्र भूले
सुविधा से उन पर तो विश्वास करते हुए
क्या विज्ञान न था बुजुर्ग नही समझते
बिल्ली राह काटते हजार अनभव देखे
अनिष्ट को देखा तो अनभव साझा करे
अंधविश्वास कहते आज हम सभ्य हुए
तजुर्बे की अणि पर अंधविश्वास देखते
हम परम्पराओ को अनुभव करते हुए
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