
Share0 Bookmarks 0 Reads0 Likes
साम्राज्य था जनता के दिलों पर राज का
वे सत्ता हथिया गए अपना शौक मानकर
डुगडुगी पीटी जाती गली गली शोर हुआ
निकल पड़े ढूंढने साम्राज्य चोरी हो गया
दबे मुंह अफवाह उड़ी चूहे ज्यादा हो गए
कद क्या बढ़ा आज साम्राज्य उठा ले गए
हरकारे निकले पर कहीं खबर नही मिली
महाराज नींद में रहे चूहे साम्राज्य ले भागे
बैंक पीसीयू संस्थानों में छेद कुतर जाते
उठाए जो आवाज़ ये सवाल कुतर जाते
क्या अब चूहे सत्ता के बन छाते जा रहे
आज नौकरी पैसा और जेब कुतर जाते
लोकतंत्र और सविंधान के पन्ने कुतरते
बच्चों के पेपर शिक्षा भविष्य कुतर जाते
क्या चूहों का कद भी इस कदर बढ़ गया
वे चाहेंगे तो क्या साम्राज्य उनका हो गया
इतिहास में वाकया ऐसा कभी नही हुआ
वे कुतरते रहे और आज साम्राज्य ले उड़े
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments