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साम्राज्य था जनता के दिलों पर राज का
वे सत्ता हथिया गए अपना शौक मानकर
डुगडुगी पीटी जाती गली गली शोर हुआ
निकल पड़े ढूंढने साम्राज्य चोरी हो गया
दबे मुंह अफवाह उड़ी चूहे ज्यादा हो गए
कद क्या बढ़ा आज साम्राज्य उठा ले गए
हरकारे निकले पर कहीं खबर नही मिली
महाराज नींद में रहे चूहे साम्राज्य ले भागे
बैंक पीसीयू संस्थानों में छ
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