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कुछ शेर - ४

SirjdSirjd April 22, 2023
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उस की बेवफाई हमें वफा लगी
एक बेवफा हमें बा-वफा लगी

कुचल दीया उस ने मेरे सारे फूलों को
एक कांटा उस के पैर भी न लगी

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माना के उसका प्यार झूटा और बो झुटी थी
पर इस तन्हाई से उसकी बेवफाई अच्छी थी 

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तू थी जज्बातों की एक पावन धारा
जो अब खुसी की धूप से सुख गई है
बस दो बूंद बाकी है
जो मेरे आंखों में रुक गईं हैं

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इतना रुलाया किसी ने
अब आंखों मैं आंसू नहीं आते
क्या आंख से आंसु का रिस्था भी छूटा था

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इक गम का टुकड़ा मुझे कोई उधार दे दो
डरता हूं कहीं हस हस के मर न जाऊं
आंख भरी नेहीं एक अरसा होगया
मुझे तो मेरे होने पे हंसी आती है

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जेडी



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