नदी's image
Share0 Bookmarks 22 Reads0 Likes

नदी, तुमने क्यूं नहीं छोड़ा ये रास्ता 

पहाड़ों के बगल में भी जगह थी

कितना वक्त खोया है तुमने इस जिरह में 

समंदर से भी तुम तब मिल न पाई

क्या तुम्हारे जिद की ये कीमत सही थी ?

शायद, तुम्हारा रास्ता ही सही था

अगर तुम उस समय जो बदल जाती

तुम्हारी इतनी बड़ी हस्ती न होती

इक पत्थर भी तुमको रोक देता  

तुम्हारे पास फिर बस्ती न होती 

तुम भी किसी तालाब सी रहती सिमटकर

तुम भी किसी चट्टान से रहती लिपटकर

शायद तुम्हें ये हस्र अब मंजूर न था 

शायद तुम्हें अपने वजूद की कीमत पता थी

तुम इसलिए ही अब तक मुसलसल चल रही हो

तुम इसलिए ही अब तक मुसलसल बह रही हो।।




No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts