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स्वाभिमान व प्रतिष्ठा के सवेरे होंगे
यूं तो नहीं होगा कि परचम लहरे होंगे
कटाक्ष होंगे तो गहरे होंगे
बेनकाब काफी चेहरे होंगे
चुभेंगे अल्फाज कानो में
ना जाने कितने बहरे होंगे
ये सब तो बाद की दास्तान है
होना निश्चित भी नहीं आगाज है
सुनने में आया पहली बार
तूफान की चाहत ठहराव है
खुद पे ही प्रहार का इंतजार है
सूरज को शाम का इंतजार है✍
यूं तो नहीं होगा कि परचम लहरे होंगे
कटाक्ष होंगे तो गहरे होंगे
बेनकाब काफी चेहरे होंगे
चुभेंगे अल्फाज कानो में
ना जाने कितने बहरे होंगे
ये सब तो बाद की दास्तान है
होना निश्चित भी नहीं आगाज है
सुनने में आया पहली बार
तूफान की चाहत ठहराव है
खुद पे ही प्रहार का इंतजार है
सूरज को शाम का इंतजार है✍
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