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कुछ इस तरह बदला समाज
शर्म बेची जाने लगी बाजारों में
और दाम जमीर के लगने लगे
हैरत की बात ये है कीमत केवल पैसा
अनमोल आभूषणों की कीमत केवल पैसा
मान मर्यादा जैसे गहने इतने सस्ते बिकने लगे
संस्कार संस्कृति की कोई कद्र नहीं
थामने को मशहुरी नाम की पतंग
लोग इस हद तक गिरने लगे
उस रब की बनाई इस दुनिया में
उसके नाम पे चले ढोंग पाखंड
ये उस रब को शर्मशार करने लगे✍
शर्म बेची जाने लगी बाजारों में
और दाम जमीर के लगने लगे
हैरत की बात ये है कीमत केवल पैसा
अनमोल आभूषणों की कीमत केवल पैसा
मान मर्यादा जैसे गहने इतने सस्ते बिकने लगे
संस्कार संस्कृति की कोई कद्र नहीं
थामने को मशहुरी नाम की पतंग
लोग इस हद तक गिरने लगे
उस रब की बनाई इस दुनिया में
उसके नाम पे चले ढोंग पाखंड
ये उस रब को शर्मशार करने लगे✍
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