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सच ये भी कोई नहीं किसी का
सब कहीं ना कहीं बस खुद के है
अपने आप में मशरूफ हर कोई
यहां सबका अलग जमाना है
प्यार लगाव अपनापन
ये सब कुछ देर के ही तो मुद्दे है
समय से फल फूल भी पक जाते है
मौसम का दस्तूर है बदलना
कर्म है बादलों का चलना
टाइम का तो बस बहाना है
गलत कहना भी गलत है
क्योंकि एक की ही नहीं कहानी
ये खुदगर्जी हर बंदे का रंग है
दूसरो का तो नाम ही बदनाम
यहां इंसान अपनो से ही तंग है
ये भी एक अजीब अफसाना है
जो है जैसा है बस संतुष्ट रहा जाए
कमियां भरने की कहां फुरसत है
सच हंस के स्वीकार किया जाए
सब कुछ बख्शीश-ए-कुदरत है
और सब कुछ ही तो बेगाना है
बस यहां चंद पलों का ठिकाना है✍
सब कहीं ना कहीं बस खुद के है
अपने आप में मशरूफ हर कोई
यहां सबका अलग जमाना है
प्यार लगाव अपनापन
ये सब कुछ देर के ही तो मुद्दे है
समय से फल फूल भी पक जाते है
मौसम का दस्तूर है बदलना
कर्म है बादलों का चलना
टाइम का तो बस बहाना है
गलत कहना भी गलत है
क्योंकि एक की ही नहीं कहानी
ये खुदगर्जी हर बंदे का रंग है
दूसरो का तो नाम ही बदनाम
यहां इंसान अपनो से ही तंग है
ये भी एक अजीब अफसाना है
जो है जैसा है बस संतुष्ट रहा जाए
कमियां भरने की कहां फुरसत है
सच हंस के स्वीकार किया जाए
सब कुछ बख्शीश-ए-कुदरत है
और सब कुछ ही तो बेगाना है
बस यहां चंद पलों का ठिकाना है✍
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