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श्रृंगार !!


जाने क्यूँ 

मेरा श्रृंगार अधूरा लगता है 

मेरे बालों में गज़रा है मांग में सिन्दूर है 

माथे पे बिंदिया, आँखों में काजल है 

नाक में नथ, कानों में बाली है

हाथों में कंगन और पैरों में पायल है!

सब कुछ तो है, पर फिर भी ऐसा क्यूँ लगता है 

के कुछ तो कमी है!!


जाने ऐसा क्यूँ लगता है 

के जो कमाल उनकी एक नज़र करती है 

उसके आगे ये सारे श्रृंगार फीके पड़ते हैं !


वो उनका छुप छुप के देखना 

और बातों बातों में बड़ी आसानी से कह जाना 

के तुम बहुत ख़ास हो, मेरे लिए जीने की आस हो

मुझे यूँ ही बेपरवाह दिखने पर मजबूर करता है !!


मैं जब भी आईने में देखूँ खुद को  

उनका चुपके से पीछे खड़े हो जाना 

और फिर खुद ही मेरे बाल संवारना

और ये कहना कि ये बिखरे हुए भी सजते हैं तुम पर 

मेरी शर्म से झुकी नज़रें ही मेरा श्रृंगार कर देती हैं !


जाने क्यूँ उनकी एक नज़र के सामने  

बाकी सारे श्रृंगार फ़ीके पड़ जाते हैं !!


- श्वेता 


#love #poetry

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