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धूप छाँव सी ये ज़िन्दगी मेरी !!

shweta kumarishweta kumari April 28, 2023
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धूप छाँव सी ये ज़िन्दगी मेरी  ‬‪कभी हँसाये कभी रुलाए है!

ख़ुशनुमा मौसम यूँ पल में बीता जाए रे,

दिल्लगी की चार बातें सपनो को महकाये हैं 

रोज़ मिलना रोज़ बिछड़ना, दस्तूर हुआ जाए रे !

कुछ ही दिनो का साथ है अब, बंधन छूटा जाए ये ,

भूलूँगी कैसे उन्हें, सोच सोच,दिल ये मेरा बैठा जाए रे ! ‬

बेबसी मेरी बस इतनी

कि ख़यालों पे पहरा लग ही ना पाए रे !!


सुबूत मेरे इश्क़ का हाथ ना लग जाए किसी के 

वादा किया था जो, वो समशान पहुँचाए हैं 

सिसकतीं आरज़ू को मैंने दिल में ही दफ़नाए है ।

इस क़दर होठों पे मुस्कान ओढी जाऊँ मैं 

कि खबर भी ना लगे मेरी जान निकली जाए है ॥


उखड़ती साँसों में अब जान कहाँ से आए रे ?

कोई वैद्य को बुलाए तो कोई दवा अपनी चलाए है 

कैसे समझाऊँ ? ज़ख़्म दिल पे लगे हैं ।

कि चोट भर ही ना पाए रे !!

बेबसी मेरी बस इतनी

कि मयखाने का रुख़ कर ही ना पाए हैं  !!


पहर पहर बीती जाए ,

दिन महीने साल भी गुज़रे !

तनहायी ये मेरी मुझको छोड़ के ना जाए 

ख़ुशियों भरी महफ़िल में भी आँखें नम किए जाए है  !!

बेबसी मेरी बस इतनी

कि बीते पलों से नाता तोड़ ही ना पाए हैं !


‪पा कर खोया जिसे ‬वो हर पल यादों में आए‬

‪खो कर पाया जिसे‬ वो ज़ेहन में ना समाए है

हाल ये मेरा कौन सुनने को आए ?

दिल की दास्तान यहाँ सड़कों पे बिखरी जाए!! 

बेबसी मेरी बस इतनी

कि बेवफ़ायी उनकी हमें आज भी तड़पाए रे  ॥


तबाही का ये मंजर मुझसे सहा नहीं जाए है 

मोहब्बत के सारे ग़म अब ज़हर सा बुझाए है 

ज़िंदगी ये बोझ सी अब ढोया नहीं जाए है 

देख कर ये दुनिया सारी, हँसी मेरी उड़ाए है !!‬


जिए जा रहे हैं पर , मौत मुझको ना आए 

क्या सितम ये ज़िंदगी भी, मुझ अबला पे ढायी रे !

बेबसी मेरी बस इतनी

कि बदहाली में भी हम यूँ ही मुस्कुराए हैं  !

धूप छाँव सी ये ज़िन्दगी मेरी ‪कभी हँसाये कभी रुलाए है!!


-Shweta


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