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तमाम जलवे दिखाकर रात ने,
चाँद को बे-पर्दा कर दिया|
जल रहा था वो उसके हुस्न-ओ-शबाब में,
सुबह ने आकर सब खराब कर दिया||
खूब बुलाया तारों ने इशारा करके चाँदनी को,
पर चाँद ने जाने से मना कर दिया||
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