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अपनी आह में वाह वाही बटोरी है हमनें,
कमबख्त यूं तो पत्थर को टूटते बहुत कम देखा है,
मगर शायर के दिल को पत्थर होते हुए देखा है हमनें..!
श्वेता मिश्रा
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