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बहते आंसुओ को आंखों में दबाना मैंने बड़ी मुश्किल से सीखा है,
भीड़ में होकर भी तन्हा हो जाने का गम मैंने कुछ देर से समझा है,
करीब होकर जो लोग मेरे अपने नहीं थे उन लोगों को जरा मैंने विलंबन से पहचाना है,
तैरना नहीं आता है मुझे मगर लहरों के उफान से भिड़ जाना बड़ी कठिनता से सीखा है मैंने,
भीड़ में होकर भी तन्हा हो जाने का गम मैंने कुछ देर से समझा है,
करीब होकर जो लोग मेरे अपने नहीं थे उन लोगों को जरा मैंने विलंबन से पहचाना है,
तैरना नहीं आता है मुझे मगर लहरों के उफान से भिड़ जाना बड़ी कठिनता से सीखा है मैंने,
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