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झूठें एहसासों का रूप धरेगी नहीं
सत्य कहने से एक पल डरेगी नहीं
जन्म लेगी कविता हरेक रोज़ पर
युग निकल जाएगा वो मरेगी नहीं
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झूठें एहसासों का रूप धरेगी नहीं
सत्य कहने से एक पल डरेगी नहीं
जन्म लेगी कविता हरेक रोज़ पर
युग निकल जाएगा वो मरेगी नहीं
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