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झूठें एहसासों का रूप धरेगी नहीं
सत्य कहने से एक पल डरेगी नहीं
जन्म लेगी कविता हरेक रोज़ पर
युग निकल जाएगा वो मरेगी नहीं
दिल की बातें सरल करने का साज़ है
एक गुमसुम से मन की ये आवाज़ है
फक्त कहने को है ये कविता मगर
मन की बातों को कहने का अंदाज़ है
_आरव शुक्ला
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