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रंगीन सी दुनिया दिखाते बन सफक रंग है पिता
धूप सी दुनिया में हर पल छाँव बन संग है पिता
मुसीबतों की श्रृंखला चढ़ना सिखाते हैं सदा
सत्य संग चल, झूठ से लड़ना सिखाते हैं सदा
नदी के जैसे वक्त संग चलना सिखाते हैं सदा
हर चक्रव्यूह को भेद के बढ़ना सिखाते हैं सदा
जब भी पास हो ऊर्जा बढ़ाए ऐसा तरंग है पिता
धूप सी दुनिया में हर पल छाँव बन संग है पिता
सबके ख्वाबों को सजाने अपनी मुरादें काटते हैं
मुस्कुरा कर सबको अक्सर मुस्कुराहट बाटते हैं
कभी गलतियों में टोकते हैं या तो थोड़ा डांटते हैं
लेकिन सदा वो प्यार और दुलार देकर पाटते हैं
खुशियां है, हर्ष उल्लास हैं, मस्ती उमंग है पिता
धूप सी दुनिया में हर पल छाँव बन संग है पिता
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