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आज अपने ही घर में खुद को क़ैद पाता हूं
कितने दिन और चलेगा, ये सोच कर सहम जाता हूं.
खिड़की से कोयल के संगीत से फिर खिलखिला जाता हूं
सोती हुई उम्मीद को फिर जगाता हूं.
जब बाहर निकलू तो ये ही दुआ मानता हूं
कोयल ना गुम हो जाए कहीं, क्योंकि अब उसको दोस्त बुलाता हूं।।
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