सितम ढाने वालों ने, क्या क्या सितम ही ढाए हैं ..
हाथों में गुलदस्ते उनके, चेहरों पे झूठ के साए हैं ..।
इस फरेबी दुनिया में ,किसे झूठ कहे,किसे सच माने...
सच कहने वाले ही अक्सर ,अंगारों पे चलते आए हैं...।।
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