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शजर वो खुशनुमा था,
परिंदे चहकते थे, जब उसकी शाखों पे..।
घोंसले वीरान ही बचे है आज,
परिंदे जाके,लौटें नहीं कई रातों से....।।
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शजर वो खुशनुमा था,
परिंदे चहकते थे, जब उसकी शाखों पे..।
घोंसले वीरान ही बचे है आज,
परिंदे जाके,लौटें नहीं कई रातों से....।।
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