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मैं वो सदा हूँ जो हवाएं देती हैं
मेरी सदाओं में हमेशा दुआएं रहती हैं
मैं कतरा हूँ पर समंदरों की भाषा बोलता हूँ
आँखों में मेरे गुरूर की परछाई रहती है
इब्तेदा में पूरी आस्तीन थे ख्वाब मेरे
इंतेहा तलक आस्तीन आधी रहती है
कभी पलकों से अश्क़ गिर जाए तो&nb
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