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कक्षा में कुछ उद्दंड लड़के थे,
और..
उनकी सारी शरारतों में उनका साथ दिया करती थी मैं,
फिर...
वो कक्षा में एक ओर खड़े रहते थे हमेशा
वो तब भी मुझे बचाया करते थे;
मुझे बचाते-बचाते वो उद्दंड से लड़के हो गए एकदम शांत
मैं....
मैं तो आज भी उद्दंड ही हूँ,
वो तब से लेकर आजतक मुझे बचाते ही आए हैं!
श्रुतिका साह
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