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हर रिश्ता पैदल चलने के समान है
कभी एक तो कभी दूसरे पैर की कमान है ।
जो दूसरे को पीछे रख, आगे रहा बस एक ही कोई
तो रिश्ता बोझ और लँगड़ाना ही दास्तान है ।
जो हठ कर रुक जाएँ दोनो बराबरी पे
तो आगे बढ़ना बंद और रिश्ता बेजान है ।
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