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कई कलियां बर्बाद हुई,
पर हौसला पस्त न हुआ,
उस कली के भरोसे जो उसने समाज,
या वक्त के हवाले नहीं कि,
संजोकर कर रखा,
समाज से छिपा कर,
पढ़ाया लिखाया,
वक्त दिया,
और सिंचा ज्ञान से,
अब जग खुशबुदार हो रहा।
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