सूरज's image
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जब उठेगा सूरज,
      तब झिलमिलाएगी
परछाईं हमारी,
जो रुके रह जाएगी
बीते वक्त के साथ, हम भी बदल गए हैं
जैसे पीपल की डाल, जो बहुत लम्बी हो जाएगी

अब हम भी बड़े हो गए हैं,
 पर बचपन के संग
कभी जो टूटा था खिलौना, आज भी जाने कैसे जीता है
परछाईं के साथ आज भी हम, दौड़ते फिरते हैं
एक छोटी सी मुस्कान के साथ, जो दिल में जीता है

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