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जब उठेगा सूरज,
तब झिलमिलाएगी
परछाईं हमारी,
जो रुके रह जाएगी
बीते वक्त के साथ, हम भी बदल गए हैं
जैसे पीपल की डाल, जो बहुत लम्बी हो जाएगी
अब हम
तब झिलमिलाएगी
परछाईं हमारी,
जो रुके रह जाएगी
बीते वक्त के साथ, हम भी बदल गए हैं
जैसे पीपल की डाल, जो बहुत लम्बी हो जाएगी
अब हम
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