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मन मे आज भी एक कशिश रहती है
तुमसे मिलने की हर वक्त कोशिश रहती है।
भूल जाने में भी यादें गहरी हो जाती है
भूलने में याद आने की गुंजाइश रहती है
ख़यालों से वो कहां निकलते हैं यूं हीं
इसमें भी उनकी कोई फ़रमाइश रहती हैं
जीते हैं डूबकर हम इश्क की गहराइयों में
फ़िर कहां दिल पर कोई और बंदिश रहती है
साथ निभाने का जो कहकर छोड़ जाते हैं 'अकेला'
जाने क्यूँ उन दिलों में इतनी रंजिश रहती हैं।
-शिव अकेला
तुमसे मिलने की हर वक्त कोशिश रहती है।
भूल जाने में भी यादें गहरी हो जाती है
भूलने में याद आने की गुंजाइश रहती है
ख़यालों से वो कहां निकलते हैं यूं हीं
इसमें भी उनकी कोई फ़रमाइश रहती हैं
जीते हैं डूबकर हम इश्क की गहराइयों में
फ़िर कहां दिल पर कोई और बंदिश रहती है
साथ निभाने का जो कहकर छोड़ जाते हैं 'अकेला'
जाने क्यूँ उन दिलों में इतनी रंजिश रहती हैं।
-शिव अकेला
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