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ना शायर हूं ना कवी
ना मैं प्रेमी ना ज्ञानी
दिल की कथा-कहानी
बस लिख दिया करता हूं यूं हीं
कुछ पढ़ कर डूब जाता हूं
ख़याल मैं खूब सजाता हूं
जो समझ ना आता वो लिख जाता
कभी कलम पकड़ बैठा रह जाता
अपने भाव छुपाने में
सफल नहीं हो पाता हूं
कवी नहीं ना शायर हूं
बस लिख दिया करता हूं यूं हीं
पूजा-नमाज़ है अच्छी बात
पर वो मैं कब कर पाता हूं
अपनी श्रद्धा अपना सच
मैं लिखने में ही पाता हूं
और नहीं कुछ समझ में आता
सो यही हर रोज दोहराता
अपने भाव व्यक्त
ना मैं प्रेमी ना ज्ञानी
दिल की कथा-कहानी
बस लिख दिया करता हूं यूं हीं
कुछ पढ़ कर डूब जाता हूं
ख़याल मैं खूब सजाता हूं
जो समझ ना आता वो लिख जाता
कभी कलम पकड़ बैठा रह जाता
अपने भाव छुपाने में
सफल नहीं हो पाता हूं
कवी नहीं ना शायर हूं
बस लिख दिया करता हूं यूं हीं
पूजा-नमाज़ है अच्छी बात
पर वो मैं कब कर पाता हूं
अपनी श्रद्धा अपना सच
मैं लिखने में ही पाता हूं
और नहीं कुछ समझ में आता
सो यही हर रोज दोहराता
अपने भाव व्यक्त
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