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अपने अकेलेपन में होता हूं जब याद तुम्हें करता हूं
ख़ुद ही, ख़ुद की, ख़ुद से फ़रियाद मैं करता हूं
याद तुम्हें करता हूं जब, अधूरा होता हूं
याद तुम्हें करता हूं, जब अधूरा होता हूं
हारा सा होकर भी सपने सजोता हूं
कुछ याद करके बहुत कुछ मैं खोता हूं
आज भी उन आँखो का ख़्वाब याद है
जिन्हें मैं अक्सर भूला करता हूं
याद है उन छोटी मुलाक़ातों का हिसाब
याद करता हूं, जब भी, अकेला मैं होता हूं
ख़ुश दिखता दुनिया को छुपकर मैं रोता हूं
याद तुम्हें करता हूं जब, 'अकेला' मैं होता हूं
याद तुम्हें करता हूं, जब 'अकेला' होता हूं।
-शिव अकेला
ख़ुद ही, ख़ुद की, ख़ुद से फ़रियाद मैं करता हूं
याद तुम्हें करता हूं जब, अधूरा होता हूं
याद तुम्हें करता हूं, जब अधूरा होता हूं
हारा सा होकर भी सपने सजोता हूं
कुछ याद करके बहुत कुछ मैं खोता हूं
आज भी उन आँखो का ख़्वाब याद है
जिन्हें मैं अक्सर भूला करता हूं
याद है उन छोटी मुलाक़ातों का हिसाब
याद करता हूं, जब भी, अकेला मैं होता हूं
ख़ुश दिखता दुनिया को छुपकर मैं रोता हूं
याद तुम्हें करता हूं जब, 'अकेला' मैं होता हूं
याद तुम्हें करता हूं, जब 'अकेला' होता हूं।
-शिव अकेला
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