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अपने अकेलेपन में होता हूं जब याद तुम्हें करता हूं
ख़ुद ही, ख़ुद की, ख़ुद से फ़रियाद मैं करता हूं
याद तुम्हें करता हूं जब, अधूरा होता हूं
याद तुम्हें करता हूं, जब अधूरा होता हूं
हारा सा होकर भी सपने सजोता हूं
कुछ याद करके बहुत कुछ मैं खोता हूं
आज भी उन आँखो का ख़्व
ख़ुद ही, ख़ुद की, ख़ुद से फ़रियाद मैं करता हूं
याद तुम्हें करता हूं जब, अधूरा होता हूं
याद तुम्हें करता हूं, जब अधूरा होता हूं
हारा सा होकर भी सपने सजोता हूं
कुछ याद करके बहुत कुछ मैं खोता हूं
आज भी उन आँखो का ख़्व
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