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अपने अकेलेपन में होता हूं
जब भी तुम्हें याद करता हूं
हारा सा होकर भी सपने सजोता हूं
कुछ याद करके बहुत कुछ मैं खोता हूं
फ़िर भी उन आँखो का ख़्वाब याद है
जिन्हें मैं अक्सर भूला करता हूं
जब भी तुम्हें याद करता हूं
हारा सा होकर भी सपने सजोता हूं
कुछ याद करके बहुत कुछ मैं खोता हूं
फ़िर भी उन आँखो का ख़्वाब याद है
जिन्हें मैं अक्सर भूला करता हूं
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