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शहर के दूसरी तरफ
पुराने और खंडहर से दिखाई देने वाले
मकबरे की उजड़ी दीवार के पास
लगे सूखे वृक्ष की खोह से
उतरता है कोई तेज
शरीर से अंधेरा बांधे
और भागता है गांव की ओर
उल्टे पांव
उसे मालूम है
अकेलेपन की गिरफ़्त से
कभी बाहर न निकल पाने वालों की कहानी
इसलिए वह बांध देना चाहता है
ताबीज़
शहर के हृदय पर
चिड़ियों की चहचहाहट और गोधूलि बेला को
काले कपड़े में लपेट ।
/ शिवम
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