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'मैं प्रेम करता हूं तुमसे'
के जवाब में कहा था उसने
कि बदले में
तुम मांग लेना मेरा हाथ
दुनिया के सामने और कहना
'मैं जाति के बंधन से मुक्त हूं'
दरअसल वह समझ न सकी थी
कि समाज फूलों से लदे पौधे को
उखाड़ फेंक देगा
पर उसकी जड़ में पानी नहीं डालेगा
परिणाम यह हुआ कि
आज मैं अपनी जड़ से अलग हूं।
/शिवम
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