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लगाता ज़ख़्म पर मरहम कभी ना घाव देता है,
भले ख़ुद डूब जाये पर हमें वो नाव देता है,
हमारे हिस्से की सारी अकेले धूप सह ले जो,
पिता ही वृक्ष है ऐसा जो केवल छांव देता है,
~©शिवांकित तिवारी "शिवा"
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