स्वेटर's image
Share0 Bookmarks 47957 Reads0 Likes

थक हार कर लेटती नहीं बैठती थी माँ

काम नहीं लगता था उसको स्वेटर बुनना

"हर रंग फबता है तुझपे" कहकर

एक रंग का ऊन बड़े चाव से चुनना

रोज़ नाश्ते में "एक पराठा और खा ले" कहती थी

फिर नाप हर दिन की बुनाई के बाद लेती थी

सेहतमंद पसंद हूं मैं उसको

बाकी उसकी आंखो में तो नूर ह

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts