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तू चल,जब तक चल सके।
संघर्ष के शिला को रगड़, जब तक आग न जल सके।
मैं भी राही हूं, अपने ज़मीर का इस समय।
देखते है ये पर्वत, टिकेगा अब कितने समय।
 
संघर्ष के शिला को रगड़, जब तक आग न जल सके।
मैं भी राही हूं, अपने ज़मीर का इस समय।
देखते है ये पर्वत, टिकेगा अब कितने समय।
 
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