Share0 Bookmarks 44228 Reads1 Likes
भावनाओं से,उलझना है कब तक।
भावनाओं से,लड़ना है कब तक।।
मेघ-मल्हारो वाली बरखा जब,सजती है।
तब ओ है हमे खुद से ही,कहती है।।
ओ खुद को खुद से ही,समझाती है।
खुद से ही यू बार-बार,इठलाती है।।
हम भी भावनाओं को,जब समझ न पाते। तब ओ हमसे कुछ कहे,हम नकार न पाते।।
लेकिन भावनाओं में भी,ह
भावनाओं से,लड़ना है कब तक।।
मेघ-मल्हारो वाली बरखा जब,सजती है।
तब ओ है हमे खुद से ही,कहती है।।
ओ खुद को खुद से ही,समझाती है।
खुद से ही यू बार-बार,इठलाती है।।
हम भी भावनाओं को,जब समझ न पाते। तब ओ हमसे कुछ कहे,हम नकार न पाते।।
लेकिन भावनाओं में भी,ह
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments