जज्वात's image
Share0 Bookmarks 0 Reads2 Likes
अक्सर खुली आँखों से ख्वाव देखता हूँ,
कई रातों से मै सोया नही हूँ।
याद तो आतें हैं कई ऐसे लम्हे मुझे
पर कई दिनों से मैं खुलकर रोया नहीं हूं।
तू जब चाहे मेरे जस्वातों से खेले,
मैं कोई  खिलौना या खेलने की गुड़िया नहीं हूँ।
मुझमें भी कुछ भावनाएं हैं, तू ये क्यों नहीं समझता,

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts