हूक's image
Share0 Bookmarks 121 Reads0 Likes

आज फिर कलम उठाने की

हूक दिल में उठी है।

लगता था कि ये कलम भी

मुझसे रूठ गई है।

जैसे रूठे कुछ अपने

और कुछ गैर

गैरों की तो फितरत में ही था

लेकिन कुछ ने बहुत साथ निभाया


इन्सानियत की बात न पूछो

वो ईद का चांद हुई है।

नकाब पर नकाब ओढे

बैठे वे लोग

मातम मनाने की जगह

जश्न में मशगूल है।


No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts