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मैं भी होनहार हुं, मैं भी तेज प्रकाश हुं।
गरीब हुं तो क्या हुआ आखिर मैं भी इन्सान हुं।
है कई सपने मेरे, उड़ना है ऊँची उड़ान।
कर कड़ी मेहनत मुझे भी जाना है दरियापार।
करने है सच वो सपने जो मैं रोज देखा करता हुं।
देख सभी बच्चों को मैं उसमें खुदको ढूंढता रहता हुं।
सोचता रहता हुं कि काश मैं भी स्कूल जा पाता।
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