
मैं अक्षत हूँ एक फार्मूला वन रेसर और आज मैं करिश्मा से मिलने आया हूँ जो एक महिला फुटबॉलर है । मैं उसका बहुत बड़ा फैन हूँ । मैं उसके घर में उसके लाॅन में उसका इंतजार कर रहा हूँ । वो मेरे सामने आती है । मैं उसे देखता रह जाता हूँ । मैं यादों की गलियों में गुम हो जाता हूँ ।
बचपन के दिन
मैं करीब नौ साल का था जब मैं करिश्मा के मोहल्ले में आया था । वो साईकल चलाती और मैं उसे बालकनी से देखा करता था । मेरा एडमिशन करिश्मा के स्कूल मे ही हुआ था । स्कूल में उसने मुझे पहली बार देखा था और हम दोस्त बन गए थे । अब हम साईकल साथ चलाने लगे थे, मुझे साईकल चलाने नही आता था तो करिश्मा ने ही मुझे साईकल चलाना सिखाया था । हम धीरे-धीरे बहुत अच्छे दोस्त बन गए और एक-दूसरे को पसंद भी करने लगे । मैं उसे अपना फ्यूचर कहता और वो मुझे अपना फ्यूचर कहती । हम दोनो एक-दूसरे को इसी नाम से पुकारा करते थे ।
कुछ साल बीत गए । अब मैं चौदह का हो गया था और करिश्मा की उम्र लगभग बारह की थी । एकदिन हमारे स्कूल मे फुटबॉल का एक गेम होने वाला था । उस फुटबॉल गेम मे हमारे स्कूल के बच्चे भी उनके साथ खेलने वाले थे । मैंने करिश्मा से कहा कि तुम भी खेलो तो उसने कहा पापा और चाचा भी होंगे और वो मुझपे गुस्सा करेंगे । मैंने उसे बहुत समझाया तब जाकर वो मानी । फुटबॉल उसका पैशन था और मुझे फुटबॉल खेलना नही आता था । मैंने अपनी जगह उसे खेलने के लिए भेज दिया । गेम शुरू हो गया और करिश्मा की टीम जीत गयी । करिश्मा के टीम को दो गोल चाहिए थे जीतने के लिए और वो दोनो गोल करिश्मा ने किये । करिश्मा की वजह से ही वो मैच जीत गये । करिश्मा को जीत के लिए लोगो ने बहुत सारी बधाईयां दी । उसके पापा और चाचा ने उस वक्त तो उसे कुछ नही कहा पर वो गुस्सा बहुत थे । करिश्मा बस इसी बात से डर रही थी । सबके जाने के बाद मैंने उसे बहुत समझाया तब जाकर वो घर जाने को मानी थी । घर जाने के बाद रात को उसे बहुत डांट पड़ी थी । उसके पापा ने उसे फुटबॉल खेलने से मना कर दिया और कहा अब से वो किसी भी गेम में हिस्सा नही लेगी वरना उसका स्कूल जाना भी वो बंद करवा देंगे । उस रात करिश्मा बहुत रोयी थी । मैंने खिड़की से देखा था उसे रोते हुए वो छत पे सबसे छुपकर रो रही थी । मैं उसके घर से सटे उस नीम के पेड़ के सहारे उसके छत पे गया था । वो मुझे देखकर और भी रोने लगी थी मैंने उसे मनाने के लिए उसका फेवरिट वाला हार्ट शेप चॉकलेट दिया था । थोड़ी देर बाद वो चुप हो गई । फिर वो नीचे चली गई और मैं भी पेड़ से नीचे आ गया । मैंने उसके आंसू को देखकर फैसला किया कि अब मुझे ही कुछ करना होगा । मैंने कुछ दोस्तो को साथ लिया और रास्ते मे करिश्मा के पापा को घेर लिया । वो पहले तो हमे देखकर हंसे फिर जब उन्होंने मेरे पीछे के लड़को के हाथों में हॉकी स्टिक देखा तो वो बोले क्या बात है तुमने मुझे इस तरह क्यों घेरा हुआ है? मैंने कहा आप करिश्मा को फुटबॉल खेलने से क्यों रोक रहे हैं? आप उसे खेलने से नही रोकेंगे । मैंने अपने हाथ से लिखा हुआ लेटर उनके सामने रख दिया । अब ये क्या है? उन्होंने पूछा । मैंने कहा इसमे लिखा है कि आप करिश्मा को खेलने से कभी नही रोकेंगे यहां पर आप अपना सिग्नेचर कर दीजिए फिर हम यहां से चले जायेंगे । वो हंसने लगे । मैंने थोड़ा आवाज को ऊंचा करते हुए कहा हंसे नही सिग्नेचर करे । उन्होंने हंसते हुए सिग्नेचर कर दिया । मैं वो लेटर लेकर हंसी खुशी घर लौट आया । मैंने सोचा कुछ दिनो मे करिश्मा का बर्थडे है तब मैं उसे दूंगा । वो बहुत खुश होगी ।
सुबह जब जागा तो देखा करिश्मा के घर के बाहर बहुत भीड लगी थी । मां से पूछा तो पता लगा कि उसके दादा जी आये है वो भी बहुत बड़े फुटबॉलर थे और कुछ दिन पहले उन लोगो ने जो मैच जीता था उसकी वजह से मीडिया आयी हुई है उसके घर मे इसलिए इतनी भीड़लगी है । मैंने जल्दी से अपना हुलिया दुरूस्त किया और करिश्मा के घर पहुंच गया । वहां पहुंचा तो देखा करिश्मा किचेन मे कुछ काट रही थी और उसके आंखो मे आंसू थे । उसकी आँखो मे आंसू देख कर मेरे बदन मे जैसे आग लग जाती थी । मैंने उसकी बड़ी बहन से पूछा तो उसने कहा पापा ने उसे डांटा है किसी ने उन्हे कल परेशान किया था । मैं गुस्से में था । मैंने कहा तुमलोग समझते क्यों नही कि फुटबॉल उसका पैशन है । उसने कहा हम समझते है पर उसे उस खेल मे हिस्सा नही लेना चाहिए था पता नही क्यों और किसके कहने पर वो उस गेम का हिस्सा बन गयी थी! मैने कहा उसने अपने फ्यूचर के कहने पर गेम मे हिस्सा लिया था । वो चौंकी । फ्यूचर के कहने पर । ये फ्यूचर कौन है और वो कौन होता है फैसला लेने वाला । मैं गुस्से मे तमतमा रहा था । मैने कहा वो फ्यूचर मैं हूं । मैंने कहा था उसे खेलने के लिए और आगे भी कहूंगा तुम लोग सपोर्ट करो या न करो मेरी फ्यूचर खेलेगी मेरे लिए हमारे फ्यूचर के लिए । लगभग उसे धक्का देते हुए मैं वहां से चला आया । मैं पानी पीने के बहाने से किचेन में गया । करिश्मा अभी भी रो रही थी । मैंने उसके हाथ पर हाथ रखा । उसने मुझे देखा और मेरी ओर जैसे ही मुड़ी उसके हाथ का चाकू मेरे हाथो मे लग गया और खून बहने लगा । कट थोड़ा ज्यादा था । मुझे सबने डॉक्टर के पास ले आया । हाथ मे पट्टी करवा के मैं फिर वहीं आ गया । मीडिया वाले करिश्मा के दादाजी से सवाल पूछ रहे थे । आप अपने बच्चो की जीत के बारे में क्या कहना चाहते है? दादाजी ने कहा मेरे बच्चे बिल्कुल मुझपर गये है इसलिए उन्होंने ये मैच जीत लिया । मैंने करिश्मा का हाथ पकड़कर उसे आगे कर दिया और कहा अगर ये ना होती तो इस गेम को जीतना मुश्किल था । मीडिया ने अब दादाजी को छोड़ करिश्मा से सवाल करने लगे । उन्होंने उसकी तस्वीर भी ली । सब खत्म होने के बाद वो लोग नाश्ता करने लगे । करिश्मा छुपते छुपाते मुझे
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