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वो मुझमे नुक़्स निकालकर ऊंगलियो पर गिनाते रहे,
मैं उनकी बातो को गहराईयो से सुनता रहा,
दिलो मे मैल थे वो होंठो से थे झड़ रहे
मैं उनको बस गहराईयो से सुनता रहा,
वो मुझपे आरोप लगाते रहे
मैं उनके आरोपो को गहराईयो से सुनता रहा,
कभी-कभी
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