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कुदरत भी अक्सर अजीब खेल खेलता है
किसी को मिला देता है तो
किसी को जुदा कर देता है,
किसी की कहानी अमर कर देता है
किसी की कहानी तबाह कर देता है,
किसी को भर भर के देता है वो खुशियां
किसी को भरके गम के पिटाले दे देता है,
तरसते है लोग मगर खेल को वो जारी रखता है,
कुदरत भी अक्सर अजीब खेल खेलता है,
किसी को दुनिया भर की दौलत दे देता है,
शोहरत दे देता है,
किसी को एक वक्त का खाना तक नसीब
नही होने देता है,
कुदरत भी अक्सर अजीब खेल खेलता है,
दे देता तो है वो सबकुछ कुछेक ही इंसान को,
जिन्हे वो कुछ दे नही पाता उन्हे वो हिम्मत,
यकीन, विश्वास देता है,
कुदरत भी अक्सर अजीब खेल खेलता है,
किसी को हारी बाजी भी जीता देता है
किसी को जीती बाजी भी हरा देता है,
कुदरत भी अक्सर अजीब खेल खेलता है ।
- शिखा सिंह
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