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हम अक्सर अपने उस सपने के पीछे भागते है
जिन्हे हम हकीकी तौर पर पूरा नही कर पाते,
और जब हम थक जाते है
तो उस सपने की कल्पना करते है
अपने ख्वाबों में,
पर ख्वाबों का क्या है!
वो तो नींद के खुलने भर से टूट जाते है ।
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