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भोली सी है सूरत तेरी
आंखों में है ख्वाब कई
दिल में तेरे दर्द बहुत है
खुद में रखे कैद सभी
मुस्काती तुम ऐसी हो
जैसे कोई नदी बहती हो
कभी चंचल तो कभी शांत हो
इसलिए तुम खास हो
बोली तेरी इतनी मीठी
शक्कर भी कम पड़ती है
गुस्सा तेरा इतना तीखा
मिर्च भी इसके आगे फीका
अपने ही धुन में रहती हो
मुझसे क्यूं नहीं मिलती हो
बनके तेरा आशिक मैं
तेरे पीछे पीछे चलता हूं
एक नज़र टकराए जो
बस यही ख्वाब मैं बुनता हूं
पर डर लगता है
अगर ये ख्वाब सच हो जाए
तेरी नजरें जो मुझसे टकराए
होश में कैसे आऊंगा
कहो मैं तुमको कैसे पाऊंगा ।
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