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बाजदफा इंसान अपनी पहचान खोने लगता है
उसे जिंदगी छोटी सी लगने लगती है
उसका खुद पर से ही विश्वास डगमगाने लग जाता है
वो खुद से हारने लगता है,
बाजोकात कुछ ऐसा हो जाता है कि
दुनिया उसे झूठी लगने लगती है
वो इस झूठ से खुद को आजाद कर लेना चाहता है
और कुछ गलत कदम उठाने की कोशिश करने लगता है
पर इससे
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