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क्यों रोकते हो किसी को मुस्कुराने से
यही उम्र तो है उसके खिलखिलाने के
जिम्मेदारियों के बोझ तले झुक ही जाना है इक दिन
तब तलक तो उसको खुल के जी लेने दीजिए
उम्मीदों का बोझ बड़ा भारी है यारो
तब तलक तो उसको सपने संजोने दो ।
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