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तूने दिल के तार जो है छेड़े
बड़ी देर तक रहा ये शोर मे,
मैं खो ही गया था इनमे जैसे
अपलक बस अंत को है देखे,
सबकुछ ही भूल गया है जैसे
तुझमे ही डूबा हो वैसे,
क्या बतलाऊ कैसे कैसे ख्वाब ये देखे
ख्वाब देखने को तो लगे भी ना पैसे ।
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