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कभी कभी आपके अपने ही आपकी
खुशी के दुश्मन बन जाते हैं,
उनसे खुशी देखी नहीं जाती,
फिर वो बीज बोते हैं तनाव के
और सबकुछ नष्ट भ्रष्ट करके ही दम लेते हैं।
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खुशी के दुश्मन बन जाते हैं,
उनसे खुशी देखी नहीं जाती,
फिर वो बीज बोते हैं तनाव के
और सबकुछ नष्ट भ्रष्ट करके ही दम लेते हैं।
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