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रिश्तों के भंवर मे ऐसे फंसते जा रहे हैं,
जैसे किसी दलदल मे धंसते जा रहे हैं,
बचने की उम्मीद ही नही
आंखे भी अब बंद हो रही है
साँसे भी थमने लगी है
जिंदगी जैसे खत्म हो रही है ।
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रिश्तों के भंवर मे ऐसे फंसते जा रहे हैं,
जैसे किसी दलदल मे धंसते जा रहे हैं,
बचने की उम्मीद ही नही
आंखे भी अब बंद हो रही है
साँसे भी थमने लगी है
जिंदगी जैसे खत्म हो रही है ।
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