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रिश्तों के भंवर मे ऐसे फंसते जा रहे हैं,
जैसे किसी दलदल मे धंसते जा रहे हैं,
बचने की उम्मीद
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रिश्तों के भंवर मे ऐसे फंसते जा रहे हैं,
जैसे किसी दलदल मे धंसते जा रहे हैं,
बचने की उम्मीद
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